“खुनवा पसीना सहरिया में भईया, कौड़ी के भाव में बिकाइल बा। चल उड़ि चल सुगना गउवा के ओर जहाँ माटी में सोना हेराईल बा माटी में सोना हेराईल बा”
ओमप्रकाश यादव की आवाज़, डॉक्टर सागर की लिरिक्स से बने इस गाने को सुनकर पलायन जैसी भीषण और गंभीर समस्या का पता चलता है. इस गाने को फिल्म भीड़ में यूज़ किया गया है. पलायन का अर्थ है किसी स्थान को छोड़कर कहीं और चले जाना, खासकर बेहतर जीवन की तलाश में. इसमें अक्सर बड़ी संख्या में लोगों का स्थानांतरण शामिल होता है, जो आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर होता है.
जिसने दुनिया को बुद्ध दिया, महावीर दिया, चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, अशोक महान दिया, वहां के लोग आज दूसरी जगहों पर जाकर दर दर की ठोकरें खा रहे है। दो जून की रोटी के लिए बिहार के लोग कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भटकने को मजबूर हैं। जिस चाणक्य की लिखी किताब पर दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाएं टिकी हैं, उस चाणक्य के देश के लोग अपना घर द्वार छोड़कर दाना पानी की तलाश में मारे मारे फिर रहे हैं. आखिर ऐसा क्या हो गया कि गुप्त काल से ही सबसे समृद्ध राज्यों में से एक बिहार की ऐसी दुर्गति हो गई कि यहां के लोग कंगाल होते चले गए और पुरुषार्थ के साथ साथ अपना स्वाभिमान भी गिरवी रखने को मजबूर हो गए। हालत यह है कि बिहार के 38 में से 16 जिले ऐसे हैं, जहां पलायन करने वालों की संख्या 5 प्रतिशत से अधिक है। आंकड़े बताते हैं कि कोरोना महामारी के समय बिहार लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या 23.6 लाख थी। यहां किसी भी भारतीय राज्य में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की सबसे अधिक संख्या थी। यह संख्या कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 2015 के विधानसभा चुनाव में पड़े कुल वोटों का यह 6 प्रतिशत से भी अधिक है।
बिहार, भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ से हर साल लाखों लोग रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में पलायन करते हैं। दिल्ली, इन प्रवासियों का सबसे पसंदीदा गंतव्य है। यह पलायन न केवल बिहार के लोगों के जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि दिल्ली पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
रोजगार, शिक्षा और अवसर के लिए मज़बूरी दिल्ली, बिहार में बेरोजगारी दर 13.4% (2022) है, जो राष्ट्रीय औसत (7.5%) से अधिक है। कृषि पर अत्यधिक निर्भरता, कम औद्योगिकीकरण, और कुशल श्रमिकों की कमी के कारण लोगों को रोजगार के बेहतर अवसरों की तलाश में दिल्ली जाना पड़ता है। दिल्ली में निर्माण, सेवा क्षेत्र, और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम के अवसर उपलब्ध हैं। बिहार भारत का सबसे गरीब राज्य है। 2021 में, बिहार में 34.1% लोग गरीबी रेखा (₹135 प्रतिदिन) से नीचे रहते थे। गरीबी के कारण लोग बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं, जिसके लिए उन्हें दिल्ली जैसे शहरों में जाकर काम करना पड़ता है। बिहार में शिक्षा का स्तर कम है। 2021 में, बिहार में साक्षरता दर 73.5% थी, जो राष्ट्रीय औसत (77.7%) से कम है। बेहतर शिक्षा और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी लोग दिल्ली जाते हैं। दिल्ली में कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान हैं। दिल्ली में विभिन्न प्रकार के व्यवसायों, उद्योगों और सेवाओं में काम करने के अवसर उपलब्ध हैं, जो बिहार में संभव नहीं हैं। दिल्ली में राजनीति, मीडिया, कला, संस्कृति, और फैशन जैसे क्षेत्रों में भी काम करने के अवसर मौजूद हैं।
बिहार में महसूस असुरक्षा के कारन भी लोग पलायन कर रहे, बिहार में अपराध दर और सामाजिक अशांति अधिक है। 2021 में, बिहार में प्रति 1 लाख लोगों पर 146.6 अपराध हुए थे, जो राष्ट्रीय औसत (133.2) से अधिक है। सुरक्षित जीवन जीने और कानून के शासन का अनुभव करने के लिए लोग दिल्ली जैसे शहरों में पलायन करते हैं। दिल्ली में जीवन बिहार से बहुत अलग है। यहाँ जीवन गति तेज है, प्रतिस्पर्धा अधिक है, और खर्च भी ज़्यादा है। प्रवासियों को अक्सर कम वेतन पर काम करना पड़ता है और उन्हें खराब आवास और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
पलायन का प्रभाव बिहार पर भी देखने को मिलता है, पलायन से बिहार में कुशल श्रमिकों की कमी हो जाती है, जिससे राज्य का विकास बाधित होता है। पलायन के कारण परिवार टूट जाते हैं, जिससे सामाजिक समस्याएं पैदा होती हैं। पलायन से ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या कम हो जाती है, जिसके कारण बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं में कमी आती है।
बिहार में कुशल श्रमिकों की कमी है। यदि आपके पास किसी विशेष क्षेत्र में कौशल है, जैसे इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, वेल्डर, या कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, तो आपको रोजगार के अच्छे अवसर मिल सकते हैं। आप स्थानीय समाचार पत्रों और जॉब अलर्ट के लिए साइन अप करके भी रोजगार के अवसरों के बारे में पता लगा सकते हैं।
बिहार मुख्य रूप से कृषि प्रधान राज्य है। आप पारंपरिक खेती के अलावा डेयरी, मछली पालन, या जैविक खेती जैसे क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर तलाश कर सकते हैं। हालांकि बिहार में अभी भी रोजगार के अवसरों की कमी है, लेकिन स्थिति निरंतर सुधार रही है। आने वाले समय में राज्य में रोजगार के और ज़्यादा अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
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