बिहार में वोट प्रतिशत कम क्यों?

बिहार चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि बिहार में शाम 6 बजे तक 48.23 प्रतिशत मतदान हो गया है। औरंगाबाद में 50 प्रतिशत, गया में 52 प्रतिशत, नवादा में 41.50 प्रतिशत और जमुई में 50 प्रतिशत वोटिंग हुई। बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एच आर श्रीनिवास ने बताया कि पिछले चुनाव की तुलना में 5 प्रतिशत कम मतदान हुआ है।

लोकसभा चुनाव का पहला चरण पूरा हो गया है। इसमें गया, औरंगाबाद, नवादा और जमुई सीटों पर चुनाव हुआ। हालांकि इस चरण में बिहार के वोटरों में थोड़ा कम उत्साह दिखा देखा गया था क्योंकि भीषण गर्मी के कारण। बिहार में ओवरऑल मतदान प्रतिशत 48.23 प्रतिशत रहा।

बिहार चुनाव आयोग के अनुसार बिहार में 48.23 प्रतिशत मतदान हुआ है। औरंगाबाद में 50 प्रतिशत, गया में 52 प्रतिशत, नवादा में 41.50 प्रतिशत और जमुई में 50 प्रतिशत वोटिंग हुई। बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एच आर श्रीनिवास ने बताया कि पिछले चुनाव की तुलना में 5 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एचआर श्रीनिवास ने कहा कि आज प्रथम चरण का पोलिंग शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हो गया है। 7903 मतदान केंद्रों में मतदान हुआ, अभी भी कुछ मतदान केंद्रों पर मतदान हो रहा है।

बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि इस बार नक्सल इलाके में वायु सेना के पांच हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया गया। भारी मात्रा में शराब भी बरामद की गई। इस बार भीषण कर्मी के कारण मतदान प्रतिशत में कमी आई। काफी कोशिश के बाद भी अधिक मतदान नहीं हुआ है। चुनाव के लिए घुड़सवार, हेलीकॉप्टर और बम निरोधक टीम भी तैनात की गई थी।

गर्मी के कारण लोग मतदान केन्द्रों तक नहीं पहुंचे।

मतदान केन्द्रों पर शेड, पेयजल आदि की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के बारे में शिकायतें हैं।

गांवों में मतदान केन्द्रों तक जाने की अधिक दूरी है।

कई इलाकों में मतदान के बारे में जागरूकता की कमी है।

अलग-अलग जिलों से लोगों का पलायन देखा गया है।

इन कारणों को बिहार में मुख्य कारण माना जा सकता है। चुनाव आयोग को सबसे बड़े लोकतंत्र में इन समस्याओं से निकलने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिए।

गांवों तक चुनाव में वोटिंग के लिए जगरूकता।

पलायन के कारण दूर रह रहे निवासी के लिए वोटिंग सुविधा।

मतदान केंद्र पर आकर्षण हेतु सजावट और कार्यक्रम।

बुनियादी व्यवस्था पानी, वॉशरूम को सुनिश्चित करना चाहिए।

मतदान केंद्र अधिक दूरी पर न हो ये भी ध्यान देने की बात है।

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Rohit Raj

सामाजिक सरोकार के लिए पत्रकार हूँ!