भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) देश के ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में गिने जाते हैं। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद ही छात्रों को इनमें प्रवेश मिल पाता है, और यहाँ शिक्षा का स्तर भी बहुत कठिन होता है। लेकिन, हाल के वर्षों में एक चिंताजनक स्थिति सामने आई है। इस वर्ष, IIT के 30-35% स्नातकों को कैंपस प्लेसमेंट से नौकरी नहीं मिल सकी। पिछले साल की तुलना में भर्ती प्रक्रिया भी धीमी रही है।
इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक कारण वैश्विक स्तर पर सूचना तकनीक (IT) क्षेत्र में नौकरियों की कमी है, जिसका असर भारत में भी दिख रहा है। दूसरा कारण, करियर की सुरक्षा के कारण कुछ छात्र सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों में नौकरी करना चाहते हैं, जिसके लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है।
जिन छात्रों को प्लेसमेंट नहीं मिली है, उनमें से कई कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने या कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यह स्थिति चिंताजनक है और उद्योग जगत को आगे आकर इन प्रतिभाशाली छात्रों को अवसर प्रदान करने चाहिए। लेकिन, समस्या केवल यहीं तक सीमित नहीं है।
हाल में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में शिक्षित युवाओं में बड़ी बेरोजगारी का मुख्य कारण कौशल और प्रशिक्षण का अभाव है। हमारा देश का शिक्षा उद्योग 117 अरब डॉलर से अधिक का है और तेज़ी से नए-नए कॉलेज खुल रहे हैं।
लेकिन, इनमें से कई संस्थानों में शिक्षकों की कमी है, प्रयोगशालाएं नहीं हैं और शिक्षा का स्तर निम्न है। यह स्थिति स्वीकार्य नहीं है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे शिक्षण संस्थान छात्रों को रोजगार के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करें। इसके लिए, सरकार, निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों को मिलकर काम करना होगा।
सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और गुणवत्ता नियंत्रण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। निजी क्षेत्र को भी शिक्षा क्षेत्र में योगदान देना चाहिए और ऐसे संस्थानों का निर्माण करना चाहिए जो छात्रों को रोजगार के लिए तैयार करें।
शिक्षाविदों को भी पाठ्यक्रम को समय के अनुसार अपडेट करने और छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए।
यह ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है कि IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से निकले छात्रों को नौकरी मिलने में कोई समस्या नहीं होती है।
लेकिन, देश के बाकी स्नातकों में से बड़ी संख्या में ऐसे हैं जिनके पास रोजगार के लिए आवश्यक कौशल नहीं हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए हमें कौशल विकास पर ध्यान देना होगा।
सरकार को कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए और युवाओं को विभिन्न प्रकार के कौशल प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना करनी चाहिए। निजी क्षेत्र को भी कौशल विकास में योगदान देना चाहिए और युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए। केवल शिक्षा में सुधार और कौशल विकास पर ध्यान देकर ही हम युवाओं में बेरोजगारी की समस्या का समाधान कर सकते हैं। यह हमारी अर्थव्यवस्था और देश के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
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