दिल्ली में 2014 से कांग्रेस का खाता नहीं खुला है, 7 के 7 सीट बीते दो लोकसभा चुनाव में पार्टी हार चुकी है। इसी बीच लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में सबसे चर्चित नाम है कन्हैया कुमार का, जिन्हें दिल्ली की उत्तर पूर्वी सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया है। कन्हैया की सीट कांग्रेस की नैया पार कर सकती है? क्या 10 साल बाद दिल्ली में कांग्रेस अपना खाता खोल पाएगी?
कन्हैया की दिल्ली वापसी मानी जा सकती है। पिछले कुछ सालों से बिहार की राजनीति में सक्रिय रहे कन्हैया कुमार एक बार फिर दिल्ली की राजनीति में लौट आए हैं। मनोज तिवारी के खिलाफ मुकाबला: कन्हैया कुमार का मुकाबला बीजेपी के मनोज तिवारी से होगा, जो इस सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं।
पूर्वांचल वोटरों के समीकरण पर पार्टियों का जोड़, उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र यूपी, बिहार और हरियाणा से आए लोगों का मिश्रण है। इस सीट पर पूर्वांचली वोटर्स की संख्या निर्णायक है। बीजेपी का तुरुप का इक्का माने जाने वाले मनोज तिवारी एक बड़े पूर्वांचली नेता होने के साथ-साथ भोजपुरी सिनेमा में भी लोकप्रिय हैं।
कांग्रेस का पलटवार: पूर्वांचली वोटर्स के अलावा, कांग्रेस ने मुस्लिम वोटर्स को भी साधने की रणनीति बनाई है। 2020 के दिल्ली दंगों का केंद्र रहा उत्तर पूर्वी दिल्ली मुस्लिम आबादी में भी अच्छी खासी संख्या रखता है। इंडिया गठबंधन मुस्लिम वोटर्स को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है और कन्हैया कुमार इस रणनीति का हिस्सा हैं।
युवाओं को आकर्षित करना: कन्हैया कुमार अपनी भाषण कला के लिए जाने जाते हैं। जेएनयू में रहते हुए उनके भाषण सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते थे। कांग्रेस युवाओं को आकर्षित करने के लिए कन्हैया कुमार पर दांव खेल रही है। कुल मिलाकर, कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को उत्तर पूर्वी दिल्ली से उतारकर पूर्वांचल और मुस्लिम वोटर्स को साधने के साथ-साथ युवाओं को भी लुभाने की रणनीति बनाई है।
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